रायपुर। इन दिनों कोरोना का संकट पुरे विश्व पर मंडरा रहा है, इसी बिच भाई - बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन का भी नज़दीक आ चुका है। इस बार कोरोना ने त्यौहार का रंग फीका कर दिया है, और कुछ बहन भाई त्यौहार को नहीं मना पाएंगे, इसी बिच रायपुर के स्वास्थ्य कर्मी का दर्द कुछ यूं छलका है जिसे वह अपनी कविता के माध्यम से भाई बहनों को समर्पित किया है।
"कौन बाँधेगा मुझे राखी
इस वर्ष घर नहि आ पाउँगा!
कौन बाँधेगा मुझे राखी
इस वर्ष मिठाई ,तिलक ,चंदन कुंकुम कौन लगाएगा
इस वर्ष घर नहि जा पाउँगा
कलाई सुनी ना जाएँ
कौन बाँधेगा मुझे राखी
कौन बनाएगा मेरे लिए खीर और पूड़ी 🍲सब्ज़ी माँ
इस वर्ष घर नहि आ पाऊँगा
कौन देगा आशीर्वाद
कौन पहनेगा नए वस्त्र
इस वर्ष घर नहि आ पाउँगा
कौन देगा प्यार इस राखी में घर नहि आपाउँगा
देश सेवा ही बंधन समझना
मैं राखी के पावन पर्व घर नहि आपाउँगा!
क़ौन बाँधेगा राखी मैं घर नहीं आ पाऊँगा "
:- स्वास्थ्य सेवक अजय त्रिपाठी
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